Sunday 22 November 2020

मेरी शीमेल धोबन आंटी ने कि मेरी धुआंधार चुदाई

 मुझे याद है बचपन में हमारे मोहल्ले में एक धोबन रहती थी । वो एक मुस्लिम थी । वो जयादातर बुर्का ही पहनती थी जब भी हमारे घर कपड़े लेने या देने आती थी । उनके साथ उनकी लड़की भी आती थी जो मेरी हमउम्र थी । आंटी सिर्फ नाम का ही बुर्का पहनती थी और चेहरा नहीं ढकती थी । वो बुर्के का नक़ाब सिर्फ अपने आधे चेहरे पे ही पहनती थी और वो भी सिर्फ मुंह तक होता था बाकी आंखे और नाक और ज्यादातर हिस्सा खुला होता था जैसा कि कई औरते आजकल कोविड़ का मास्क लगा के घूमती है । हमेशा उनकी नाक के नीचे से गुजरता हुआ वो काला  नक़ाब ऐसे लगता था कि जैसे कि उनकी काली दाढ़ी और मूछ हो । वो थोड़ी सांवली थी और उनकी नाक बड़ी लंबी थी । इसलिए उनका नक़ाब हमेशा नाक के नीचे ही रहता था और कभी वो नक़ाब टाइट भी होता तो उनकी 2 इंच लंबी नाक उसे ऊपर आने से रोकती थी । मै सोचता था कि आंटी के सच मे सरदारों वाली दाढ़ी मूछ होती तो वो और भी खूबसूरत लगती ।

मै जब भी उन्हें आता देखता तो अपने कमरे में घुस जाता और खिड़की में से चोरी छुपे उनके इस मर्दाने रूप को देख के मूठ मारता था। मै शुरू से ही मर्दाना औरते जिनके बहुत बाल हो या जिनके दाढी मूछ आ रखी हो उन औरतों से चुदने कि कल्पना करते हुए मुठ मारता था और ज्यादातर वो ही मेरी कल्पनाओं मै आती थी ।

उनका शरीर भी बहुत लंबा चौड़ा था , शायद वो पठान थी , उनके मम्मे और कुल्हे बड़े थे मेरी मम्मी से भी बड़े पर उम्र में वो 40 से ज्यादा नहीं लगती थी । शारीरिक मेहनत की वजह से उनके उनके हाथ बिल्कुल रफ थे और कलाई तक बाल आ रखे थे , कई बार मैंने उनका हाथ देखा , हाथ के पंजे के पीछे और उंगलियों पे भी बाल थे , जैसे किसी मर्द का हाथ हो , मम्मी से उनकी अच्छी पटती और हमारे घर काफी देक रुकती थी , मै इसी बात का फायदा उठा के उन्हे हर एक एंगल से देखता और मूठ मारता । सबसे अच्छी बात तो ये थी कि वो बहुत लंबी भी थी , मेरे पापा से भी लंबी , शायद उनकी हाइट 5' 10" होगी जबकि पापा की 5' 5" और मेरी सिर्फ 5' ही थी , वो मोहले में सबसे लंबी तगड़ी औरत थी, सारे आदमी उनके भरे पूरे शरीर की कामना करते होगे पर उनके भारी भरकम शरीर को देख के हिम्मत नहीं करते थे।

 उनके पति नहीं था और वो और उनकी दो बेटियां ही कपड़े धोने और प्रेस का काम करती थी बड़ी बेटी और वो लड़कियों के कपड़े भी सिलाई करती थी , ईमानदार थी पर हमारे घर ये अलावा बाकी लोगों से बहुत ही रिजर्व रहती थी ।

मै अक्सर उनके घर जाया करता था , कभी धुलाई के कपड़े लेने देने या कभी मम्मी के ब्लाउज और पेटीकोट के सिलसिले में। 

एक बार की बात है जहा से मेरी जिंदगी ही बदल गई । मै उनके यहां पर कपड़े देने गया तो उन्हे बिना बुर्के के सलवार कमीज़ में देखा ।

उनके इतने बड़े बड़े स्तन देख के मै देखता ही रह गया बिल्कुल गाय के थनो के या बोलो भेंस के थनो के बराबर एक स्तन था , पपीते जैसे लंबा और तना हुआ , बिल्कुल दूध की डेयरी के तरह , उनकी कमीज़ पूरी टाइट  हो रखी थी और चुकी वो ज़मीन पे बैठ के कपड़े धो रही थी तो उनके भारी मम्मे आधे से ज्यादा सलवार के गले से बाहर आ रहे थे । वो घुटनों के बल बैठी थी और उनकी सलवार पैरों पर ऊपर चढ गई पर थी और उनके पैरों पे काले काले मर्दों के समान बाल देखे । तब मुझे लगा ये तो मेरी कल्पना से भी ज्यादा मर्दाना है । कहीं ये अंकल तो नहीं , पर उनका चेहरा और भारी कुल्हे और बोबे देख के ये गलतफहमी दूर हो जाती। मेरा नुनु खड़ा हो गया , मै फिर अपनी कल्पनाओं में खोने ही वाला था कि उनकी मुझ पे नज़र पड़ गई ।

वो मुझे हमेशा से ही ही बड़ी प्यारी नजरों से देखती थी , मै गोरा चिट्ठा और थोड़ा मोटा सा था मेरा वजन 70 केजी था  , बिल्कुल गोल मटोल , वो मुझे गुड्डा बुलाती थी ।

आ गया मेरा गुड्डा , बैठ मै जरा कपड़े धो लू ।

नहीं ठीक है आंटी , मै फिर आ जाऊंगा ।

अरे बैठ ना , कहा भाग रहा है , हमेशा मुझसे भागता क्यों रहता है , मुझ से डर लगता है ?  घर पे भी जब कपड़े देने आती हूं तू कमरे में चला जाता है , क्या बात है ? तू तो बिल्कुल लड़कियों को तरह शर्माता है , कहीं लड़की तो नहीं है ?, चल इधर आ मै चेक करू , इतना कह के वो हंसने लगी ।

असल में मुझे वो बहुत अच्छी लगती थी और मुझे लगता था कि वो मुझे खुद को घूरते हुए पकड़ ना ले , इसलिए जब वो पास होती तो भागता था और दूर से देख के मूठ मारता था । 

वो कपड़े धोना छोड़ के खड़ी हुई और मेरे बिल्कुल पास आ के खड़ी हो गई , मेरे दोनो कंधो मै हाथ रखा और मुझ से बोली " क्यों भागता है ? मै कोई खा नहीं जाऊंगी" 

मैंने उनको देखा तो देखता ही रह गया , इतनी सुन्दर थी वो , बड़ी सी नाक , बड़ी बड़ी आंखें , गहरी मोटी आयब्रोज जो आपस में मिली हुई थी,  ऊपर से हल्की हल्की मूछे आ रखी थी , गालो पे भी साइड में बाल थे , बिल्कुल जैसे किसी औरत को दाढ़ी मूछें लगा रखी हो , वो मेरे पास आती तो उनके मम्मे मेरे मुंह पर आ गए थे , मै कुछ बोल ही नहीं पाया ।

उन्होंने आसपास देखा तो कोई नहीं था , बोली " चल मेरी कमर पे हाथ रख ।

मैंने घबराते हुए उनकी कमर पे हाथ रखा , थोड़ी मोटी मोटी गुदाज़ लग रही थी ।

उन्होंने मुझे मेरे कूल्हों से पकड़ के उठा लिया और  पास रखी स्टूल पे मुझे गोद में बिठा लिया । मै उनकी गुदाज़ जांघो पे बैठा हुआ था और उनके बोबे मेरी छाती पे चिपक गए थे , वो एक हाथ से मेरी पीठ संभाल के दूसरे हाथ से मेरी छाति मसलने लगी , जैसे अंकल लोग करते है , मुझे समझ ही नहीं आया की आंटी ऐसे क्यों कर रही है , फिर वो धीरे से अपने होठ मेरे पास ला के मुझे चूम लिया और मुस्कुराने लगी , कुछ देर ऐसे ही चलता  रहा , वो बार बार मुझे अपनी छाती में दबाती और फिर मेरी छाती मसलती ।

फिर अचानक से मेरे कानो को अपने दांतो मै लेकर हल्का हल्का कांटने लगी और मैंने महसूस किया कि वो मुझे अपने गोद में बिठा के नीचे से ऊपर की और  हिल भी रही थी । मुझे लगा वो मुझे जैसे पापा मम्मी को करते है वैसे करना चाह रही है ।

मै कुछ बोला नहीं पर मुझे बहुत मजा आ रहा था फिर अचानक से वो बोली " मेरे से प्यार करेगा ? मै अच्छी लगती हूं तुझे ? " 

मैंने शरमाते हुए बोला " हा आंटी मुझे आपकी मूछें बहुत अच्छी लगती है , आपने जब मुझे अभी चूमा तो मुझे आपकी मूछें मेरे होटों पे बहुत अच्छी लगी ।" 

अच्छा तो तुझे मेरी मूछें पसंद है ? फिर तो तुझे मेरी दाडी और पैरों के बाल भी पसंद होंगे ? , तुझे मर्दाना औरते पसंद है तो चल मै तुझे लड़की बनाके प्यार करूंगी , मुझे भी तू बहुत अच्छा लगता है एकदम लड़कियों की तरह चिकना है तू ।" 

" आप मुझे लड़की बनाके कैसे प्यार करोगी आंटी , मै तो लड़का हूं" 

तुझे लड़कियों के कपड़ने पहना के तेरे को चोदूंगी बुधु " इतना कह के उन्होंने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में भीच लिया , मेरी तो आह ही निकाल गई , " कितना दम है आप मै आंटी" मैंने कहा 

" पर ये चोदना क्या होता है आंटी ,और चोदने के लिए तो लौड़ा होना चाहीए ना वो तो आदमी के होता है आप तो औरत हो ना "  

रुक जा सब बताती हूं तुझे , इतना कह के वो मुझे गोद में उठाए हुए ही कमरे में ले गई । मै एक मोटा लड़का हूं करीब 70 kg का और मुझे ऐसे उठाए हुए थी जैसी की मेरा वजन कुछ भी नहीं ।

कमरे में जा के उन्होंने दरवाजा बंद किया और फिर मुझे गोद से उठा के पलंग पे बिठा दिया और बोली " तू लड़की बनेगा मेरे लिए ?" 

मैंने कहा " ठीक है आंटी आप जैसा बोलो मुझे कोई दिक्कत नहीं है पर आप खुद औरत हो , क्या आप को लड़के पसंद नहीं ?" 

" मुझे ना लड़कियों टाईप के लड़के पसंद है और मुझे तुझे लड़की बनाके प्यार करना है , एक बात बोलूं मै अंदर से बिल्कुल लड़का हूं , लड़का नहीं बल्कि मर्द हूं ! तुझे अच्छी लगती हूं ना ?"

" हा आंटी , आप मुझे बहुत पसंद हो , मुझे पता है आप थोड़ी मर्दाना टाईप की दिखती हो पर पता नहीं क्यों मुझे आप की हेयरी बॉडी बहुत पसंद है , आप जैसा बनना चाहो बना लो " 

" ये हुई ना बात , रुक मै तेरे लिए कपड़े ढूंडती हूं " इतना कह के वो अलमारी मै मेरे लिए कपड़े ढूडने लगी फिर थोड़ी देर बाद वो मुड़ी तो उनके हाथ में एक स्कर्ट और एक लड़कियों वाले टॉप था जो शायद मैंने उनकी लड़की को पहने हुए देखा था पर मैंने और कुछ भी देखा , मैंने देखा उन्होंने अपने पायजमे के एक तरफ कुछ घुसा रखा था , शायद उनका एमसी पड़ खुल के सलवार में एक तरफ आ गया था और सलवार आगे से भी फुली हुई लग रही थी जैसे कई बार पापा का अंडरवियर आगे से उभरा हुआ रहता है , मैंने सोचा आंटी की एमसी बहुत आती होगी इसलिए आंटी बहुत सारे पैड लगाती है । फिर भी मैंने पूछ ही लिया " आंटी ये आपकी सलवार आगे से इतनी फुली हुई क्यों है ?" 

"मेरे इतना पूछते ही वो झेप गई और बोली कुछ नहीं गुड्डे ,अभी तू गुडिया बन फिर बताती हूं " इतना कह के वो मेरे पास कपड़े लेके आयी और मुझे खड़ा करके खुद ही मेरे कपड़े उतारने लगी और बोली " हाय कितना चिकना है तू बिल्कुल लड़कियों को तरह , एक भी बाल नहीं है तेरे , और ये छाती भी उभरी हुई है , कितने साल का हो गया तू ? " 

" मै 17 साल का हूं आंटी " 

" अरे 17 साल का और कोई बाल भी नहीं आए , तेरे दाढ़ी मूछ भी नहीं आनी शुरू हुई ? मेरी छोटी लड़की के मूछ उगने लग गई है और तेरे नहीं ? सब चिड़ाते होंगे तुझे ? " 

" हा ना आंटी , स्कूल में सब मुझे लड़की लड़की बोलते है , पर में परवाह नहीं करता , मुझे तो बल्कि अच्छा ही लगता है कि शेविंग नहीं करनी पड़ती "

" और मेरे देख कितने बाल है , चेहरे पे तो तूने देख ही रखे है , अभी बाकी शरीर देखेगा तो कहीं ऐसा ना हो तू भाग जाए ?" 

" नहीं आंटी , मुझे आपकी हेयरी बॉडी पसंद है , और मैंने आपके पैर भी देखे थे अभी जब आप कपड़े धो रही थी और आप की सलवार घुटनों तक उठी हुई थी , बहुत ही ज्यादा बाल है आपके पर एक बात बोलूं आप बुरा ती नहीं मानोगी ?"

" अरे मेरी राजा , तू जो बोले अच्छा ही लगेगा , बोल ?" 

" आंटी मै जब भी आप घर पे आती है ना बुर्का पहन के और नक़ाब को अपनी नाक के नीचे रख के पहनती हो , मुझे ऐसे लगता है जैसे आपके दाढ़ी मूछ आ रखी हो और मै आप को देख के मूठ मारता हूं "

अरे बदमाश , तब ही तू अंदर भाग जाता है , और कई बार मैंने खिड़की से झांकता हुआ देखा है " मुझे समझ ही नहीं आता था कि ये लड़का पहले तो भागता है फिर खिड़की मै से क्या देखता है , अब समझी , और मेरी दाढ़ी मूछ  , हाय अल्लाह , सच बता और  क्या सोचता है ? 

" आंटी मुझे शरम आ रही है " मैंने अपना चेहरा घूम लिया तो वो मेरे पास आ के मेरे चेहरे को अपनी और घूमाते हुई बोली " बोल नहीं तो एक लगाऊंगी " फिर मंद मंद मुस्कुराने लगी ,

मैंने कहा " आंटी मै सोचता हूं कि आप मेरे ऊपर हो और मै आपके नीचे , और आप मुझे प्यार कर रही हो" 

"बस इतना ही या और कुछ ? "

बस इतना ही 

मतलब मै कैसे प्यार कर रही हूं , ये तो बता 

बस आप मुझे चूम रही हो और इससे ज्यादा कुछ नहीं सोचता , फिर मेरा हो जाता है "

हा हा हा , वो जोर से हंसने लगी और बोली " तू बिल्कुल सही है मेरे लिए , आज तुझे इससे आगे का भी बताऊंगी , चल ये कपड़े पहन फटाफट ।


और खुद अपना पायजामा खोलने लगी , उनकी बाल भरी मजबूत टांगो के बीच एक घना काला झांटों का जंगल था जिसमे से एक फुट भर का लंबा लन्ड लटक रहा था , उन्होंने पायजामा साइड मै फेका और लन्ड हाथ में लेके हिलाने लगी , 1 मिनिट मे ही लन्ड देड फुट जितना लम्बा हो के एकदम बांस की तरह तन गया , मोटा भी बहुत था , और उसका सुपाड़ा तो बिल्कुल क्रिकेट की गेंद के तरह गोल मोल , और बिल्कुल लाल सुर्ख मोटा था ।

बोली "इससे चोदूंगी तेरी गांड़ को , जहां से तू टट्टी जाता है ना वहा , इसे कहते है प्यार करना , समझे !" 

मैं तो देखता की देखता ही रह गया , इतना मोटा लन्ड और इतने सारे बाल , मैंने किसी आदमी के भी नहीं देखे थे , मेरा लन्ड सिर्फ 5" का था और बाल तो मेरे आनेभी शुरू नहीं हुए थे , मै घबराते हुए बोला " आंटी आप के इतना बड़ा लंड , इतना तो आदमी के भिन्नही होगा , मेरे पापा का भी 5- 6 इंच ही होगा , मेरे बराबर , आप के इतना बड़ा ! और ये तो मेरे छेद मै ? मेरा छेद तो बहुत छोटा है , ये कैसे घूसेगा उसमे ।"

" तू घबरा मत मेरा लंड एक बार तन जाता है तो फिर ये कही भी घुसा सकती हूं , तेरी चिकनी गांड़ मे भी घुसा दूंगी तुझे बहुत मजे आएंगे "

" नहीं आंटी दर्द होगा ना !"

नहीं बेटा मै तेल लगा के चोदूंगी , तुझे बिल्कुल दर्द नहीं होगा 

आंटी मुझे डर लग रहा है , 

अरे बेटा मेरी प्यास बुझा दे , दो साल हो गए यास्मीन के अब्बा को मरे हुए तब से मैंने किसी को चोदा नहीं ।

आप अंकल को इससे चोदती थी , मैंने असमंजस में पूछा 

रोज चोदती थी , गोद में उठा उठा के चोदती थी , वो भी क्या दिन थे , शादी के दूसरे साल से ही उनको चोदना शुरू किया और पूरे बीस साल चोदा ।

मुझे पता ही नहीं चला आंटी बात बात करते करते पलंग पे आ गई थी ।

मुझे पलंग पे ऊपर होने को बोला और खुद घुटनों के बल पलंग पे खड़ी हो गई , वो इतनी दूर थी पर उनका सुपाड़ा बिल्कुल मेरे होठं को छू रहा था ।

बोली " मुंह में लेगा गुड्डू , बड़ा स्वाद मिलेगा । मैंने एक हाथ से डरते डरते उनका लौड़ा पकड़ा तो लगा जैसे गरम गरम लकड़ी को पकड़ लिया हो , मैंने कहा आंटी ये तो बहुत गरम है , वो कुछ नहीं बोली मुस्कुराते हुए अपनी कमीज़ उतारने लगी ।

जैसे कि मैंने पहले देखे थे , उनके बाजू बड़े मोटे मोटे थे , जैसे किसी पहलवान के हो और कांख के नीचे के बाल पहली बार देखे थे , उनकी कांख के बाल 7-8 " लंबे थे एकदम काले घने और उनके स्तनों तक फैले के आए हुए थे ।

मै फिर चक्कर खा गया , एक तो लंड , ऊपर से इतने बड़े बोबे और फिर बाल भारी बगले , पहले मै उनके बोबे देखे तो देखता ही रह गया , एक एक बोबा एक पपीता नहीं बल्कि तरबूज से भी बड़ा था , वो तो ब्रा मै सिमट के पपीता लग रहा था , ब्रा निकले ही तरबूज की तरह बड़ा हो गया , और ये क्या उनके तो स्तनों के बीच के क्लीवेज में भी बाल थे और निपल्स के चारो तरफ भी बाल थे , उनकी 58 " की बड़ी छाती किसी पहलवान औरत की मजबूत छाती जैसी लग रही थी , मैंने पूछा "  ये क्या आंटी आपके इतने बड़े बोबे और उनके बीच ये मर्दों वाले बाल , समझ नहीं आ रहा आप मर्द हो या औरत ? " 

" बेटा तेरे जैसे लड़कियों टाईप के लौंडे के लिए तो मै  जन्नत हूं , अल्लाह ने मुझे चिकने लौंडे चोद ने के लिए ही बनाया है , बोल पसंद हूं की नहीं ? " 

" है आंटी बहुत पसंद हो , पर एक शर्त है आपको मेरे लिए पूरा मर्द बनना पड़ेगा , मतलब कि चोदेगी आप ही , मै बस आपके नीचे रह के चुदुंगा " इतना कह के मै अपने कपड़े उतारने लगा और आटी की दी हुई स्कर्ट और ब्लाउज पहन लिया और आंटी को अपनी चिकनी गुदाज़ बॉडी से सिड्यूस करने लगा ।

मैंने देखा औटी कमरे में एक कुर्सी पे बैठके मेरी अदाए देखने लगी और अपने डेढ़ फुट लंबे ,  झांटों से भरे लन्ड को सहलाने लगी , मेरा मन कर रहा था कि मै उनकी मजबूत बालों से भरी जांघे पे जाके उनको लैप डांस दू जैसा अंग्रेजी पिक्चर्स मै होता है 

आखिरकार वो उठी और मुझे उठा के पलंग पे पटक दिया , मै गिर के फिर बैठ गया तो वो  मेरी तरफ बढ़ रही थी ,मै सबसे पहले उनकी बाल भारी टांगो को चूमने लगा फिर धीरे धीरे उनकी टांगो पे ऊपर भड़ने लगा , उनकी टांगो के बाल कहीं भी कम नहीं हो रहे थे , जांघो तक पूरा बालो का कार्पेट लगा जो जैसे , फिर मै उनके टट्टे हाथ में ले के सहलाने लगा , टट्टे भी बालो से भरे थे और काम से कम आधा किलो के तो होंगे , जैसे किसी घोड़े के होते है , मै डर रहा था कि जब आंटी मुझ पे चड़ाई करेंगी तब क्या होगा पर मेरी हवस और नुनु मुझे सोचने से मना कर रहे थे , आंटी अपने दोनो बलिष्ठ हाथो से खुद के मम्मे दबा रही थी और जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी जैसे कि कोई शेरनी दहाड़ रही हो , फिर मैंने उन्होंने मेरा सर पकड़ और अपने लन्ड का सुपाड़ा मेरे मुंह में घुसा दिया , मेरा पूरा मुंह किसी गरम गुलाबजामुन से भर गया हो ऐसा लगा ।

 करीबन 5 मिनिट तक ऐसे ही वो मेरे मुंह में लन्ड भर के आगे पीछे होती रही  और मेरा मुंह चोदती रही फिर जब उनसे नहीं रहा गया तो मुझे पीठ के बल लिटा के मेरी टांगो के बीच में आ गई । 

बोली " तैयार है मेरी रानी चुदने को ? 

मैंने कहा कपड़े नहीं उतारू , तो बोली नहीं , कपड़े तो मै सुहागरात वाले दिन उतारूंगी , आज स्कर्ट ऊपर करके है काम चलाऊंगी , और टॉप को बीच में से फाड़ के तेरे निप्पल चूस लूंगी , मैंने कहा ठीक है 

फिर वो मुझपे झुक के मुझे चूमने लगी , कभी मेरे होटों को चूमती , कभी गालों को मुंह में भर के चूसती जब भी चूमती उनकी मूछे मेरी स्किन पर चुभती और मुझे और ज्यादा उतेजना होती , मुझे लगा मै झड़ गई जाऊंगा ।

 मेरी चिकनी टांगें उनकी जांघो पे थी और उनकी जांघो के बाल मुझे भी मुझे गुदगुदी कर रहे थे , मै गुदगुदाने लगा तो पूछी "क्या हुआ मजा आ रहा है ? ", मैंने कहा "हां आंटी आपकी टांगो के बालों से गुदगुदी है रही है ", इतना सुन के वो भी मुस्कुराने लगी , फिर एकदम से उठी और अलमारी में से सरसो के तेल की शीशी निकाल के लाई । मैंने कहा ये तो बहुत पुरानी लगती है तो बोली है दो साल पुरानी है तेरे अंकल को चोदती थी तब काम मै लेती थी , कभी कभी तो उनको मेरा लन्ड लेने के इतनी जल्दी होती की बिना तेल के ही घुसवा लेते थे बाद में चीखे मारते । 

अच्छा हमेशा आप ही अंकल को चोदती थी या कभी अंकल भी आप को चोदते थे ,

चोदते थे ना शुरू शुरू मे , पर जब मेरे अंदर मर्दनापन बढ़ने लगा और मेरा लन्ड उनके लन्ड से बड़ा हो गया बस तब तक ही , असल में उनका लन्ड 6-7 इंच का ही रहा और और मेरा धीरे धीरे 12 इंच तक हो गया , फिर क्या उन्हे था उन्हे सिर्फ चुदने में भी मजा आने लगा , फिर मेरा भी मर्दानापन इतना बढ़ गया कि वो मुझे चोद भी ले तब भी आखिरी चुदाई मै ही करती थी । बादमे तो मै उनको ही चोदने के बहाने ढूंढे ने लगी और रोज उनके सामने शर्तें रखती ,  बोलती थी एक पंजा लड़ाते है जो जीतेगा वो चोदेगा , या कभी कुश्ती या कभी कोई गेम , वो हमेशा मुझसे हार जाते थे , पंजा लड़ना मेरा पसंदीदा गेम था , क्युकी मै पंजे में उनको तुरंत हरा के तुरंत चोदना चालू कर देती थी ।

फिर भी कभी कभी वो मुझे चोदने की इच्छा रखते तो मैंने नया आइडिया निकला मैंने उनसे लन्ड लन्ड खेलने लगी , उसमे तो मुझे पता था कि मेरा हथौड़े जैसा लंड उनपे भारी  पड़ना ही है , मेरे लन्ड के दो फटके खा के उनका लंड सिकुड़ जाता था और जब तक उनकी गांड़ मे अपना लन्ड ना डालू तो खड़ा भी नहीं होता था । बस फिर ऐसे ही शादी के 3- 4 साल बाद ही मैंने एक बार उनके लन्ड की अपने लन्ड से कुछ ज्यादा ही पिटाई करदी दारू के नशे में की फिर वो खड़ा ही नहीं हुआ ,और मै हमेशा के लिए बेडरूम में मर्द और वो मेरी रण्डी बन गए ।

छी छी , औटी आप तो बहुत बुरी हो , बेचारे अंकल को रांड बना दिया , 

अरे नहीं असल मै नहीं , सिर्फ चोदाई में , वो खुद कहते थे " मै तेरी रण्डी है , चोद मुझे भोसडीके " 

पर आंटी अभी तो आप का लन्ड डेढ़ फुट हो गया है , ये कैसे 

अरे बेटा , मेरी हवस बढ़ती गई और कोई प्यास बुझाने को मिला नहीं , घर में सिर्फ दो बेटियां है और एक बात बताऊं बड़ी वाली के तो खुद लन्ड है 10 इंच का किसे चोदती 

तेरे पे मेरी कई सालो से नजर थी कि तू जब बड़ा होगा तो तुझे अपनी बीवी बनाऊंगी । मैंने तो तेरे लिए दुल्हन के कपड़े भी तैयार कर रखे है पर वो सब बाद में , अभी मुझे अपनी प्यास बुझाने दे । इतना कह के उन्होंने ढेर सारा तेल अपने लन्ड पे लगाया और उंतना ही मेरी गांड़ पे लगाया और पक् करके सुपाड़ा मेरी गांड़ मे घुसा दिया , मुझे तो संभलने का मौका भी नहीं दिया और करीबन फुट भर का लंड मेरी गांड़ मे घुसा दिया और मेरे ऊपर लेट गई , उनके 120 केजी के भारी शरीर के नीचे मै पूरा दब गया। 

1 मिनिट तो वैसे ही लेटी  रही फिर मेरे कान में बोली , अपनी टांगे मेरी कमर पे लपेट लो मेरी रानी अभी मै चोदना चालू करूंगी । मैंने जैसा उन्होंने बोला वैसे कर लिया , मुझे दर्द हो रहा था थोड़ा थोड़ा पर अब कुछ नहीं हो सकता था , उन्होंने मेरे शरीर को मेरे हाथो समेत अपने एक हाथ से जकड़ लिया , दूसरे हाथ से मेरी एक तरफ की छाती मसीजनी शुरू करदी फिर एक झ्टके में मेरा टॉप फाड़ के दूसरी तरफ की छाती की निपल् को अपने मुंह में लेके ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी ।

उसके बाद शुरू हुआ उनका चोदने का कार्यक्रम , उनके हथिनी की साइज के कूल्हे बहुत ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे होने लगे और उनका लंड मेरी गांड़ मै अंदर बाहर होने लगा जैसे कि कोई आरी मशीन लकड़ी काट रही हो और लकड़ी मै आरी अंदर बाहर होती है । बड़ा भयंकर दृश्य रहा होगा अगर कोई कमरे में खड़ा हो के देख रहा होता तो ।

एक भयंकर मर्दाना औरत एक फूल जैसे कोमल लड़के को तूफान कि तरह चोद रही थी , उनके हाथो मै भी इतना ज़ोर था कि मेरी एक तरफ की छाती लाल होके दर्द करने लगी , मै उह आह करने लगा और  आंटी को मेरी छाती छोड़ने को बोलने लगा पर ऐसा लग रहा था कि उन पे मेरी कोई बात का कोई असर नहीं हो रह था ।

वो किसी हब्शी आदमी की तरह मेरी निप्पल के साथ साथ मेरी आधी छाती मुंह में ले के चूस  रही थी , मुझे लगा आज तो मै गया , मैंने किसी तरह से अपने हाथ उनकी पकड़ से निकले और उनकी कांख के बाल अपनी मुठ्ठी में भर के खीचने लगा कि शायद उनको कुछ असर हो पर उनको अपनी कांख के बालो के खिचने का भी असर नहीं था वो मुझे बस चोद रही थी ।

थोड़ी देर में वो मेरे ऊपर से उठी मुझे लगा अब वो थोड़ी ठंडी हुई है या मेरे उनकी कांख के बालो को खीचना काम कर गया पर मै गलत था वो तो पूरे नशे मै थी चुदाई के और मेरे दोनो हाथ अपने हाथो मै ले के फिर चोदने लगी , उनकी मूछों पे पसीना जमा हो गए था और उनकी काली काली मूछें अब और भी ज्यादा साफ दिख रही थी , वो मुझे 10 मिनिट तक ऐसे ही चोदने के बाद मुझे थप्पड़ लगाने लगी और अब उन्होंने धक्कों की रफ्तार और बढा दी , मैंने कहा " धीरे आंटी धीरे"  पर वो तो और जोर से चोदने लगी , फिर बड़बड़ाने लगी , " हा य मेरी जान , मेरी रानी , तुझे चोद चोद के  रण्दी नहीं बनाया नहीं तो मै भी अपने बाप की औलाद नहीं , तुझे मै अपनी बीवी बना के सुहागरात के दिन गोदी में उछाल उछाल के चोदूंगी , बोल चुदेगी ना मेरे से रोज़, बनेगी ना मेरी रानी , 


मैंने कहा है ऑटनी मै बनूंगी आप की बीवी , अभी तो छोड़ दो , वो खुश हो गई और फिर मेरे ऊपर लेट के हल्के हल्के झतके लगाने लगी  असल मै वो अब झडने लग रही थी और अगले 5 मिनिट तक मेरी गांड़ मे वीर्य छोड़ती रही  , मेरा पेट फूल गया उनका वीर्य पी के ।

पूरे 30 मिनिट की इस भयंकर चुदाई मै बाद मेरे हाथ पैर हिल भी नहीं रहे थे।

ऑटी की बीवी बनने के कहानी बाद में ।

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