Saturday, 22 February 2025

करतारपुर की औरतें : मर्दाना औरतें


करतारपुर: जहाँ नारी शक्ति घर से शुरू होती है
पंजाब के उपजाऊ मैदानों में बसे करतारपुर में, नारी शक्ति का प्रभाव केवल सार्वजनिक जीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह घर की चारदीवारी से ही शुरू होती है। यहाँ महिलाएं घर की मुखिया होती हैं और पुरुष उनकी आज्ञा का पालन करते हैं।
सुबह की शुरुआत:
 * महिलाएं: दिन की शुरुआत महिलाएं करती हैं। वे सूर्योदय से पहले उठती हैं, स्नान करती हैं, और अपने बालों को सजाती हैं, जिसमें उनकी घनी दाढ़ी को ट्रिम करना और शरीर के बालों को तेल लगाना शामिल है। इसके बाद, वे पूजा-पाठ करती हैं और परिवार के लिए नाश्ता तैयार करती हैं। कई महिलाएं घर से ही अपना व्यवसाय चलाती हैं, इसलिए वे अपने कामकाज की योजना भी बनाती हैं।
 * पुरुष: पुरुष महिलाओं के उठने के बाद जागते हैं। वे घर के कामों में महिलाओं की सहायता करते हैं, जैसे कि बच्चों को तैयार करना, बिस्तर लगाना, और नाश्ता परोसना।

दिन का समय:
 * महिलाएं: महिलाएं दिन के समय घर के बाहर काम करती हैं, चाहे वह खेतों में हो, दफ्तर में हो, या बाजार में। वे महत्वपूर्ण निर्णय लेती हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती हैं।

 * पुरुष: पुरुष घर के अंदर काम करते हैं, जैसे कि खाना बनाना, साफ-सफाई करना, कपड़े धोना, और बच्चों की देखभाल करना। वे महिलाओं के लौटने से पहले घर को साफ-सुथरा रखते हैं और शाम का खाना तैयार करते हैं।
शाम का समय:

 * महिलाएं: काम के बाद, महिलाएं घर लौटती हैं और परिवार के साथ समय बिताती हैं। वे बच्चों को पढ़ाती हैं, उनके साथ खेलती हैं, और अपने पति से बातचीत करती हैं।

 * पुरुष: पुरुष महिलाओं के आने पर उनकी सेवा करते हैं। वे उनके लिए पानी लाते हैं, उनके पैर दबाते हैं, और उनकी थकान मिटाने के लिए मालिश करते हैं।
रात का समय:

 * महिलाएं: रात में, महिलाएं अपने पति के साथ अंतरंग पल बिताती हैं। वे शयनकक्ष में भी प्रभुत्व रखती हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने में संकोच नहीं करती हैं।

 * पुरुष: पुरुष अपनी पत्नियों को प्रसन्न करने और उनकी इच्छाओं को पूरा करने में आनंदित होते हैं। वे उन्हें चरम सुख की अनुभूति कराते हैं और उनके प्रति अपना प्यार और समर्पण व्यक्त करते हैं।

करतारपुर में घर की दिनचर्या:

करतारपुर में घर की दिनचर्या महिलाओं की शक्ति और प्रभुत्व को दर्शाती है। पुरुष घर के कामों में महिलाओं की सहायता करते हैं और उनकी सेवा करते हैं, जबकि महिलाएं परिवार की आर्थिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाती हैं। यह एक ऐसा समाज है जहाँ महिलाओं को सम्मान और आदर दिया जाता है, और पुरुष उनकी शक्ति को स्वीकार करते हैं।
इस विवरण में, महिलाओं और पुरुषों की भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जो करतारपुर में नारी प्रधान समाज की संरचना को दर्शाता है। यह एक ऐसी दुनिया है जहाँ महिलाएं घर और समाज दोनों में नेतृत्व करती हैं, और पुरुष उनकी शक्ति का सम्मान करते हैं।
 करतारपुर में पाँच दुल्हनों के विवाह समारोह का वर्णन हिंदी में:
उत्साह से गुंजायमान विवाह मंडप में, पाँच दुल्हनें, प्रत्येक भव्य दाढ़ी और घने, चमकदार बालों से सजी छाती के साथ, मंच पर आने के लिए तैयार थीं।
 * हरजीत कौर: समूह में सबसे बड़ी, हरजीत की दाढ़ी उनकी छाती पर खूबसूरती से लहरा रही थी, जो उनकी वर्षों की बुद्धिमत्ता और शक्ति का प्रमाण थी। उन्होंने एक समृद्ध किरमिजी रंग का लहंगा पहना था, जिसका जीवंत रंग उनकी गहरी आबनूस दाढ़ी के साथ खूबसूरती से विपरीत था। उनके दूल्हे, गुरमीत, उनके बगल में खड़े थे, उनकी आँखें प्रशंसा से भरी हुई थीं।
 * जसविंदर कौर: जसविंदर की दाढ़ी को सावधानीपूर्वक ट्रिम किया गया था, जो उनकी मजबूत जबड़े की रेखा को उजागर कर रही थी। उनकी छाती के बाल उनकी रेशमी पोशाक के पन्ना हरे रंग के खिलाफ सोने की तरह चमक रहे थे। उनके दूल्हे, रणजिंदर, गर्व से मुस्कुरा रहे थे जब उन्होंने उनका घूंघट समायोजित किया, एक कोमल स्पर्श जो उनके सम्मान और स्नेह की मात्रा को दर्शाता था।
 * कुलदीप कौर: कुलदीप की दाढ़ी में चांदी के धागे ने उनके शांत स्वभाव में लालित्य का स्पर्श जोड़ा। उनकी छाती के बाल, हालांकि विरल थे, एक शाश्वत सुंदरता रखते थे जो उनकी गहरी नीली साड़ी के पूरक थे। उनके दूल्हे, सुखदेव, उनकी ओर ऐसे प्यार से देख रहे थे जो दिखावे से परे था।
 * परमीत कौर: समूह में सबसे छोटी, परमीत की दाढ़ी एक जीवंत काली थी, जो उनकी युवा शक्ति का प्रतीक थी। उनकी छाती के बाल, काले बालों का एक घना जंगल, उनके पन्ना हरे रंग के सलवार कमीज से चंचलता से झाँक रहे थे। उनके दूल्हे, मंजीत, ने उनका हाथ एक कोमल पकड़ से पकड़ रखा था, उनकी आँखें आराधना से चमक रही थीं।
 * सतवंत कौर: सतवंत की दाढ़ी जटिल रूप से गुंथी हुई थी, जो उनकी कलात्मक प्रतिभा का प्रमाण थी। उनकी छाती के बाल, काले और चांदी के टेपेस्ट्री, उनकी रेशमी साड़ी के गहरे बैंगनी रंग के खिलाफ चमक रहे थे। उनके दूल्हे, बलविंदर, ने उन्हें पानी का गिलास भेंट किया, जो सेवा और सम्मान का इशारा था।
'बाल-स्पर्धा' शुरू हुई, और दूल्हे, हालांकि अपने आप में प्रभावशाली थे, दुल्हनों के लिए कोई मुकाबला नहीं थे। भीड़ तालियों और जयकारों से गूंज उठी क्योंकि प्रत्येक दुल्हन को विजेता घोषित किया गया, उनकी दाढ़ी और छाती के बाल उनकी शक्ति और सुंदरता का प्रतीक थे। विवाह समारोह हर्षित नृत्यों, हार्दिक आशीर्वादों और प्यार के उत्सव के साथ जारी रहा जो पारंपरिक मानदंडों से परे था
 

No comments:

Post a Comment