एक बार की बात है, एक छोटी सी गाँव में एक जवान लड़की नाम था रिया। रिया बहुत ही खुबसूरत और स्वाभाविक थी, लेकिन एक दिन उसने अपने ऊपरी होंठों पर बाल देखे। उसे यह देखकर थोड़ा सा शर्म आई, लेकिन फिर भी उसने सोचा कि यह उसकी पहचान का हिस्सा है और उसे इसे बदलने की कोई जरूरत नहीं है।
रिया के प्यारे बॉयफ्रेंड अर्जुन ने इसे देखा और वह उसे पसंद नहीं आया। उसने रिया से कहा, "रिया, तुम्हारे ऊपरी होंठों पर बाल हैं, मुझे यह पसंद नहीं। कृपया इन्हें हटाओ।"
रिया ने उसे समझाया, "अर्जुन, मेरे ऊपरी होंठों पर बाल मेरी पंजाबी नस्ल का हिस्सा हैं। मुझे इन्हें निकालने की कोई इच्छा नहीं है।"
अर्जुन गुस्से में आया और कहा, "रिया, तुम मेरी बात नहीं सुन रही हो। मैं तुम्हें मूछों में नहीं देख सकता।"
रिया को दुःख हुआ, लेकिन उसने अपनी बात को रखने का निर्णय लिया। वह जानती थी कि यह उसका निर्णय है और उसे इस पर अधिकार है।
अर्जुन ने उसे छोड़ दिया और रिया अपने जीवन की नई धारा में आगे बढ़ी। उसने अपने प्रियतम को खो दिया, लेकिन उसने खुद को स्वीकार किया और खुद के प्रति सम्मान बनाए रखने का निर्णय किया।
कुछ समय बाद, रिया की खूबसूरती और स्वाभाविकता ने एक और लड़के को आकर्षित किया। उसका नाम विक्रम था। विक्रम ने रिया के ऊपरी होंठों पर बाल देखे और उसे वो बहुत सेक्सी लगे । वह रिया को समझता था और उसे उसके व्यक्तित्व की सच्चाई को सम्मान देता था।
रिया और विक्रम की दोस्ती बढ़ती गई और फिर वे एक-दूसरे से प्यार करने लगे।
जब से रिया और विक्रम की दोस्ती और प्यार बढ़ा, रिया के ऊपरी होंठों पर बालों की बढ़त ने उनके रिश्ते को एक नया मोड़ दिया। विक्रम को रिया और पसंद आने लगी थी। वह रिया की शक्ति और स्वाभाविकता को समझता था। उसे यह बात स्वीकार हो गई थी कि रिया एक मरदाना लड़की है।
रिया और विक्रम की शुरुआती डेट की कहानी बहुत ही रोमांचक और उत्साहजनक थी। रिया, जो मर्दाने और साहसी व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बना चुकी थी, ने अपनी बड़ी साहसिकता के साथ विक्रम के साथ पहली मुलाकात की। विक्रम, जो अपने अंदर की आदमीपन को छिपाने की कोशिश कर रहा था, ने रिया की इस नई और अनूठी ओर को देखकर आश्चर्यचकित हुआ।
रिया ने विक्रम को अपनी बाहों में ले लिया, जो उसके लिए एक अत्यंत संवेदनशील और वास्तविक क्षण था। वह अब रिया के सामने अपने असली रूप को प्रकट करने के लिए तैयार था।
"रिया, तुमने मुझे अपनी बाहों में लेने का साहस किया।" विक्रम ने कहा, उसकी आवाज में आदर्शता और सम्मान था।
रिया ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "तुम्हें मेरी बात की परवाह नहीं है, विक्रम।"
"नहीं, रिया, मैं तुम्हें सुनना चाहता हूँ।" विक्रम ने कहा, उसकी आँखों में एक नई रोशनी थी।
"मुझे लगता है कि हम एक-दूसरे के लिए बने हैं, विक्रम।" रिया ने कहा, उसकी आवाज में प्यार और आत्मविश्वास था।
विक्रम ने उसे धीरे से अपने आँचल में लिया और उसे आलिंगनन किया। "हाँ, रिया, हम सच में एक-दूसरे के लिए बने हैं। मुझे तुम पर गर्व है, और मैं तुम्हें हमेशा साथ रखना चाहता हूँ।"
रिया ने उसे आलिंगनन किया और मुस्कुराई, "तुम मेरे लिए सब कुछ हो, विक्रम।"
इस अद्भुत और साहसिक मुलाकात के बाद, विक्रम ने अंत में रिया से शादी करने का फैसला किया, जो उन दोनों के बीच एक नए और गहरे संबंध की शुरुआत थी।
विक्रम ने रिया से इस विषय पर खुल के बात की। उसने कहा, "रिया, मैं तुम्हारी साथ इस बात को समझता हूँ। तुम्हारे ऊपरी होंठों पर बाल होना तुम्हारी मर्दानगी का हिस्सा है। मैं तुम्हारे साथ हूँ और हमेशा रहूँगा।"
रिया को विक्रम की इस बात की खुशी हुई। उसने अपने मर्दानेपन और स्वाभाविकता पर नाज किया। उसे लगा कि वह एक ऐसे इंसान के साथ है जो उसे समझता है और उसकी सच्चाई को स्वीकार करता है। उसने अपने मन की बात रिया से खुल कर कही, "रिया, मुझे तुम्हारी प्राकृतिकता और मर्दानेपन में आकर्षण है। मैं चाहता हूँ कि तुम हमेशा ऐसी ही रहो, बिना किसी बदलाव के।"
रिया को विक्रम की यह बात सुनकर बहुत खुशी हुई।
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रिया की शादी से पहले उसने अपनी दाढ़ी को साफ किया, जो उसके लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक थी।
वो ब्यूटी पार्लर गई और अपनी शेविंग करवाई
लेकिन शादी के बाद, जब रिया ने विक्रम से वापस मर्दाना रूप में रहने की शर्त रखी, तो यह विक्रम के लिए एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन रिया ने साफ किया कि वह अंदर से एक मर्द है और विक्रम को यह बात माननी होगी।
रिया: "विक्रम, मैं जैसी हूँ, वैसी ही रहूँगी। मैं अंदर से एक मर्द हूँ, और मुझे वापस अपनी पहचान में बदलने की कोई चाह नहीं है।"
विक्रम: "लेकिन रिया, क्या हम नये रिश्ते के साथ यह बातें शुरू करें? क्या मैं तुम्हें अपने रूप में ही स्वीकार कर सकता हूँ?"
रिया: "तुम्हें मेरी ये बात माननी होगी, विक्रम। मैं एक मर्द हूँ, और मैं अपनी इस पहचान को खोना नहीं चाहती।"
विक्रम ने रिया के आंखों में देखा और फिर मुस्कुराया। "तुम्हारी यह बात मुझे और अधिक प्यार देती है, रिया। मैं तुम्हें वैसी ही स्वीकार करता हूँ जैसी तुम हो।"
शादी में बाद शुरु में रिया ने अपनी मूछें घनी करने का निर्णय लिया। उसने यह नहीं चाहा कि इससे उसकी प्राकृतिकता का कोई असर पड़े, लेकिन उसे अपने आकर्षण को बढ़ाने की एक छोटी सी इच्छा थी।
रिया ने अपने डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात की। उसने बताया कि उसे अपनी मूछों को घना करना है और क्या उसे इसके लिए कुछ सलाह दी जा सकती है। डॉक्टर ने रिया को कुछ हार्मोनल दवाओं के बारे में बताया और उन्हें सही तरीके से लेने की सलाह दी।
रिया ने डॉक्टर की सलाह का पालन करते हुए हार्मोनल दवाएं लेना शुरू किया। उसने इसे गंभीरता से लिया और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह और निरीक्षण करवाया।
एक महीने के बाद, रिया को अपने ऊपरी होंठों पर घनी मूछों का परिणाम दिखाई देने लगा। वह थोड़ी हैरानी में थी कि कैसे इतनी कम समय में उसके ऊपरी होंठों पर मूछें इतनी गहरी हो गईं। उसका असली और सच्चा रूप अब और भी प्रकट हो गया था।
रिया की अब मूछें विक्रम के से भी बड़ी और घनी हो गई थीं। यह बदलाव रिया के जीवन में एक नया मोड़ लाया। वह अब अपने असली स्वरूप को पूरी तरह से प्रकट कर रही थीं।
जब रिया ने विक्रम के सामने अपनी नई मूछों को दिखाया, तो विक्रम का मुँह हँसी से भर गया। उसने कहा, "वाह रिया, तुम्हारी मूछें अब मेरी से भी बड़ी हैं। लगता है तुम मुझसे भी ज्यादा 'मर्दाना' हो रही हो!"
रिया ने उसे तेज़ी से चिढ़ाते हुए कहा, "हाँ, विक्रम, मुझे लगता है तुम्हें यह बदलाव पसंद आया होगा।"
विक्रम ने हँसते हुए कहा, "हां, मुझे यह बदलाव पसंद है, क्योंकि यह तुम्हारी आत्म-सम्मान को दिखाता है। तुम अपनी स्वाभाविकता को कभी नहीं छुपाती हो, और यही तुम्हें खास बनाता है।"
रिया ने अपनी मूछों को घनाकरने के बाद, वह और भी सुरक्षित और स्वच्छ आसमान में महसूस करती थी। उसने अपने आत्म-सम्मान की नई ऊंचाई का अनुभव किया और अपने जीवन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का विचार किया।
रिया की जीवन में नए बदलावों की दास्तान अब और भी रोचक हो गई थी। उसने न केवल अपनी मूछों को घना किया, बल्कि उसने अब अपनी दाढ़ी भी उगाई थी। यह नए बदलाव उसकी खुदरा स्वभाव को और भी प्रकट कर रहे थे।
एक दिन, जब विक्रम रिया के पास आया, तो उसने रिया को देखकर अचंभित हो गया। उसने रिया की दाढ़ी को देखा और कहा, "रिया, तुमने अपनी दाढ़ी क्यों उगाई?"
रिया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "विक्रम, मुझे लगा कि मैं अपनी स्वाभाविकता को और भी अधिक प्रकट करने के लिए इस बदलाव की ज़रूरत है।"
विक्रम ने रिया को हंसते हुए देखा और कहा, "तुम सचमुच अनोखी हो, रिया। तुम्हारी यह नई लुक मुझे बहुत पसंद आई है।"
रिया की नई और अनोखी दृश्यमयी लुक ने विक्रम को भी प्रभावित किया। उसने देखा कि रिया ने अपनी साड़ी को बहुत ही गर्मजोशी से पहना हुआ था। उसकी आंखों में एक नई ऊर्जा और खुशी दिख रही थी।
"रिया, तुमने साड़ी पहनी है?" विक्रम ने हैरानी से पूछा।
रिया ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "हाँ, विक्रम। मैंने सोचा कि आज थोड़ा अलग अंदाज में तैयार होकर देखूं।"
विक्रम ने उसकी तारीफ की, "तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही हो, रिया।"
रिया ने धन्यवाद कहा और फिर उसने विक्रम को एक साड़ी दी। "यह साड़ी मैंने तुम्हारे लिए चुनी है, विक्रम। मुझे लगता है यह तुम पर बहुत अच्छी लगेगी।"
विक्रम ने खुशी से साड़ी को लिया और उसका धन्यवाद किया। फिर उसने वही साड़ी पहनकर रिया के सामने आया।
रिया ने उसको देखकर हंसते हुए कहा, "तुम भी बहुत अच्छे लग रहे हो, विक्रम।"
रिया को विक्रम के शब्दों से कुछ अलग महसूस हुआ। वह थोड़ी चौंकी और हैरान थी क्योंकि वह न सिर्फ अपने आप को एक महिला के रूप में पहचानती थी, बल्कि उसके लिए यह नया अनुभव था कि विक्रम उसे भी मर्द के रूप में देखता है।
"क्या तुम सचमुच मेरे लिए एक महिला बन सकते हो?" रिया ने उससे पूछा, उसकी आँखों में संदेह की झलक थी।
विक्रम ने धीरे से उसके पास आकर कहा, "हां, रिया। मैं तुम्हारे साथ हूं, और मैं तुम्हें हमेशा स्वीकार करूंगा।"
नेक्स्ट चैप्टर : रिया की दाढ़ी अब विक्रम की दाढ़ी से बड़ी हो गई थी, और इससे विक्रम को अपनी मर्दानगी पर चोट पहुँची थी। रिया ने अब खुलकर विक्रम को ताना देना शुरू किया, अपनी नई ताकत और स्वाभिमान के साथ।
"देखा, विक्रम, अब मैं तुमसे बड़ी हूँ। तुम्हें यह स्वीकार करना चाहिए कि मैं अब तुम्हारी तरह सीना चौड़ा करने लगी हूँ।" रिया ने कहा।
"लेकिन रिया, तुम बस एक लड़की हो, मुझसे कोई तुलना नहीं की जा सकती।" विक्रम ने कहा, उसके आंखों में गुस्सा और असंतुष्टि की झलक थी।
"तुम समझते क्या हो, विक्रम? मेरे पास यह दाढ़ी है, और मैं इसे गर्व से लेकर चल रही हूँ। तुम्हें यह स्वीकार करना चाहिए कि मैं अब तुम्हारे मुकाबले में एक मर्द हूँ।" रिया ने उसे आवाज़ दी, उसकी आंखों में संज्ञा की झलक थी।
"तुम्हें कोई अधिकार नहीं है कि तुम मुझे अपने मुकाबले करो।" विक्रम ने उत्तर दिया, उसके आँखों में अब डर की झलक थी।
रिया ने अपनी नई ताकत के साथ विक्रम को अपने गुलाम बना लिया था। अब विक्रम, जो पहले रिया के साथ समर्थ और मर्दाना था, अब रिया के सामने अधीन हो गया था। रिया उसे निरंकुशता से हमिलेट करती और उसका आत्मसम्मान तोड़ती, क्योंकि वह अब रिया के सामने मर्द नहीं रहा था। यह उसके लिए एक अजीब और आत्मघाती अनुभव था, जिसमें वह अपनी इतनी बड़ी छाया को खो बैठा था। रिया ने उसे एक छोटे से मुँह की स्थिति में रख दिया था, और विक्रम को इससे कुछ कहने का साहस तक नहीं हो रहा था। रिया की उच्चतमता ने उसे अपने अज्ञान और अधीनता की एहसास कराया और वह अब रिया के सामने नीचे जुका हुआ था।
रिया के व्यक्तित्व में नया और सशक्त रूप दिखाई देने लगा था। वह अब विक्रम को खुलकर निराशा का इजहार कर रही थी। रिया को लगता था कि विक्रम उसके साथ संतुष्ट नहीं था, और इसलिए वह उसे स्पष्ट करने के लिए तैयार थी।
"विक्रम, तुम्हें मेरे साथ संतुष्ट नहीं है?" रिया ने तेजी से पूछा।
विक्रम ने चिंगारी से उत्तर दिया, "नहीं, रिया, मुझे तुम्हारी दाढ़ी की वजह से कोई परेशानी नहीं है। मैं तो बस यह कहना चाहता हूँ कि तुम बहुत अधिक dominant हो गई हो।"
रिया ने उसे तीखे ढंग से देखा और उसे डांट पिलाई, "विक्रम, तुम्हें मुझसे इतनी चिंता क्यों है? क्या तुम्हें यह पसंद नहीं कि मैं अब मैं ज्यादा मर्द हो गई हु , मैं शुरू से ही ऐसी थी बस अब दाड़ी मूछ दिखा रही हूँ?"
"नहीं, रिया, ऐसा नहीं है।" विक्रम ने कहा, उसकी आवाज में थोड़ा सा असुरक्षा था।
"तो क्या समस्या है?" रिया ने पूछा, उसकी आंखों में आज्ञाकारी झलक थी।
"मुझे बस लगता है कि हमें अपने रिश्ते को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है।" विक्रम ने कहा, उसकी आवाज में उत्सुकता की झलक थी।
"विक्रम, तुम्हें मेरी यह बात समझनी चाहिए कि मैं अब अपने रिश्ते में संशोधन करने के लिए तैयार हूँ। मुझे इसमें कोई समस्या नहीं है, और तुम्हें भी होनी चाहिए।" रिया ने कहा, उसकी आवाज में अनुवादन की झलक थी।
विक्रम ने रिया को गंभीरता से देखा, और उसने समझा कि रिया अब उसके साथ खेलने का वक्त खत्म हो चुका है। उसने देखा कि रिया अब उसके लिए वास्तव में एक चुनौती बन चुकी है, और उसने इसे स्वीकार किया।
विक्रम ने चुपचाप रिया के सामने अपने सिर झुकाया। "रिया, मैं तुम्हारी इस नई ताकत को स्वीकार करता हूँ। मैंने तुम्हें गलत समझा था।"
रिया ने एक आश्चर्यजनक ढंग से उसे देखा। "क्या तुम सच में मुझे स्वीकार कर रहे हो?"
"हां, रिया। मैं अब तुम्हारी इस नई दाढ़ी को स्वीकार करता हूँ।" विक्रम ने कहा, उसकी आवाज़ में विनम्रता की झलक थी।
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