Tuesday, 29 August 2023

मूछों वाली आंटीयो से प्यार करे।


मेरे मोहल्ले में एक आंटी रहती थी जिनके चेहरे पर बहुत बाल थे , उनके चेहरे पे मूछें थी । पता नही क्यों मैं हमेशा से ही मूछों वाली औरतों की तरफ आकर्षित होता हुं। मुझे वो बहुत अच्छी लगती थी , उनके दो बेटियां थी और उनका हसबैंड बाहर काम करता था । उनकी उम्र तकरीबन तीस या पैंतीस की थी और मैं तब सिर्फ बारह साल का किशोर था जिसकी ठीक से मूछें भी आना शुरू नही हुई थी पर उनको देख के मेरा छोटा सा नुन्नू खड़ा होने लगा था ।


वह मुझे अक्सर अपने घर पर बुलाती थी , मैं उनके चेहरे को करीब से देखने के लालच में चला जाता था पर उनको ये दिखाता था की मैं खाना खाने के लालच में उनके घर आता हु

जब भी मैं उनके घर पहुंच जाता तो वह मुझे से बड़े प्यार से चिपक कर मेरा स्वागत करती थी मैं भी उनके मोटे पेट पे लिपट जाता । 

वैसे मेरे को समझ में नहीं आता था कि आंटी इतना प्यार क्यों करती है पर शुरू शुरू में मुझे लगा कि वह मुझे बहुत बेटे की नजर से देखती है पर एक बार कुछ ज्यादा ही प्यार से मुझे अपने से लिपटाए रखा और खूब कस के गले लगाया तो मैने बोला  "ऑन्टी छोडो मुझे, ये क़्या कर रही हो आप?" मैंने ऑन्टी से अपनें आप को छुड़ाते हुए कहा।

"अरे बेटा क्या हुआ , अच्छा चल आ मेरी गोदी मे बैठे । जरा आंटी के पास बैठ जायेगा तो क्या बिगड़ जायेगा तेरा?, अच्छा बता ऑन्टी को प्यार नहीं करता क्या तू?" ऑन्टी ने मुझे फिर से मेरे कंधे से पकड़ के उठाया और अपनी गोद मे बिठाते हुए कहा.।

आंटी की गोद बिल्कुल सोफे जैसी बड़ी और मुलायम गद्देदार लगी मुझे और मैने मुंह मोड़ के उनके चेहरे की तरफ देखा तो उनके दादी और मूछ के बाल इतने करीब से दिखे की मेरा नुन्नू टाइट हो गया।

फिर ये सिलसिला शुरू हो गया , मैं आंटी की गोद में बैठ के उनकी दाढ़ी मूछ देखता और घर आके मूठ मरता । 

असल मे मुझे शुरू शुरू मे कोई प्रॉब्लम नहीं होती थी । पर एक दिन जब मुझे ऑन्टी की साड़ी मे कुछ मोटा मोटा सा, उभार लिए कुछ नज़र आया तब से मुझे शक हुआ की ऑन्टी के कही आंटी के दाढ़ी मूछों के अलावा कही लन्ड तो नही ! तब ही वो मुझे अपनी गोद मे बैठने को बोलती है और बार बार आगे पीछे करती है ताकि अपने लन्ड को मेरी गांड पे रगड़ के मजा ले सके.

मुझे ये सोच के बहुत अजीब सा लगा और एक दिन मैंने महसूस भी किया जब उनकी गोद में बैठे बैठे मेरी पीठ पर कुछ गरम गरम सा डंडे जैसा कुछ महसूस  किया , ये पक्का लन्ड ही है वरना अगर कोई डंडा होता तो गरम कैसे होता ? वो अपनी मस्ती में मस्त मुझे अपनी गोद में भींचे हुए थी । मैंने जल्दी से नाश्ता खत्म किया और उनकी गोद से उठ के भाग गया , वो मुझे पुकारती ही रह गई ।

घर आके मैने सोचा की कैसे वो मोटा डंडा मेरी पीठ पे सरक रहा था और कैसा लगेगा जब ये मेरी गांड़ मे घुसेगा तो? मैंने इस दिन अपनी गांड में उंगली डाली और मुझे मजा आया , अब मेरे अंदर गांड मरवाने की इच्छा होने लगी।

अब मैं सोचता हु की शुरू से ही मैं उनकी मूंछों की तरफ आकर्षित होता था इसका मतलब मैं एक लड़की टाइप का लड़का हु और मुझे मर्दाना औरत चाहिए , इसलिए आंटी का लंड होने की कल्पना से ही मैं उत्तेजित हो रहा था।

अगले दिन मैंने देखा आंटी अपने आंगन में बैठकर कपड़े धो रही थी शुरू में तो मेरी नज़र आंटी के ब्लाउज से आधे बाहर निकले स्तनों पे पड़ी , बहुत मोटे मोटे ,गोरे गोरे फिर धीरे से उनकी साड़ी देखी। उनकी साड़ी सिमट के उनके घुटनों तक आ रखी थी ।
उनके गोरे,  नहीं काले , नही उनके गोरे गोरे पैरों पर बहुत घने घने काले काले बाल थे

मैं तो देख के दंग रह गया , इतने गोरे शरीर पर इतने काले झघन बाल !!! इतने तो मेरे पापा या किसी और की भी नही थे , शायद वो मुस्लिम थी इसलिए , मैने मुस्लिम लोगो के ही इतने काले और मोटे बाल देखे थे । मुझे उनको पैरो पे इतने बाल देखकर बड़ी उत्तेजना हुई और मैंने रात को उनके नाम का मुठमारा ।, उसके बाद भी मैं रात भर आंटी के बारे में सोचता रहा । मेरे ख्यालों में मैं आंटी को अपने ऊपर महसूस करता था और मैं चाहता था कि मेरे पैर फैले हुए हो और आंटी मुझे मर्दों की तरह चोद रही हो पर यह सब तो ख्याल थे।

 मुझे उसके बाद में एक बार आंटी के घर जाने का मौका मिला तो मैं बड़ा खुश हो गया। 

मैं अंदर गया तो आंटी के घर पर तो कोई नहीं था और आंटी बाथरूम के अंदर अपने चेहरे की शेविंग कर रही थी।  मैं तो हैरान रह गया मैंने देखा आंटी बिल्कुल मर्दों की तरह शेविंग कर रही है और आंटी ने सिर्फ ब्रा पहनी हुई थी और एक चड्डी पहनी थी । आंटी ने चड्डी बिल्कुल मर्दाना पहन रखी थी और पीछे से उनकी मोटी गांड नजर आ रही थी आंटी के पैर पूरे बालों से भरे हुए थे और उनकी कांख से बाल पीछे से भी दिख रहे थे काम से कम 5 - 6 इंच लम्बे बाल कांख में , इतने की उनकी मोटी बाहों से भी बाहर निकल के झांक रहे थे 

आंटी ने मुझे देखा तो चौंक गई और जब वह मुड़ी तो मैंने देखा उनके बड़े-बड़े बोबो के बीच में भी बाल आ रखे हैं और आंटी सेविंग फॉर्म मुंह पर लगाए हुए बस रेजर फेरने ही वाली थी मैं मेरा लंड तो फटाक से खड़ा हो गया आंटी ने मुझे देखा तो हंसने लगी फिर उन्होंने तोलिया उठाया और अपने चेहरे का फार्म पोछने ही वाली थी कि मैंने मना किय मैंने बोला "रहने दो आंटी आपके चेहरे पर यह फॉर्म बहुत अच्छा लग रहा है आप बिल्कुल अंकल लग रही हैं"

 इतना सुनकर कुछ हंसने लगी बोली " तुझे मैं अंकल लग रही हूं और तुझे अच्छा लग रहा है ?"

 मैंने बिलकुल शरमा गया और मैने बोला " आंटी आप मुझे अंकल हिं लगती हैं, मुझको वो औरतें बहुत पसंद आती है जो मर्दाना होती है और आप बहुत सुंदर भी हो और मर्दाना भी हो "

इतना सुनकर आंटी जोर से हंसी फिर मेरे पास आई और मुझे अपनी बाहों में भर के उठा लिया और अपनी साबुन लगे चेहरे से ही मेरे होठों को चूमने लग गई, ।

मेरी छाती आंटी के बड़े-बड़े बोबों के ऊपर थी और मेरे पैर हवा में थे,  मैंने अपने पैर आंटी की कमर पर लपेट लिए और फिर आंटी के गले में अपने हाथ डाल दिए उसके बाद में आंटी ने अपने पेट पर मेरा छोटा सा नुन्नू तना हुआ महसूस किया पर उसके बाद में मैंने महसूस किया की सिर्फ आंटी के हाथ ही मुझे सहारा नहीं दे रहे ,  मेरी गांड पर एक बड़ा सा बंबू लगा हुआ था,  मैं साइड में होके देखा तो आंटी की मर्दाना चड्डी आगे से तंबू बनी हुई थी और उसमें आंटी का लंड गधे के लंड की तरह खड़ा हो के मेरी गांड के छेद पे टिका हुआ था ।

मुझे शक तो पहले से ही था की आंटी के लंड है पर इतना बड़ा ! मैं तो देख करके हैरान रह गया,  मैंने बोला आंटी " ये क्या है आंटी ?"

वो थोड़ा सा मुस्कुराई और बोली यह " बेटा ये मेरा लंड है जैसे सब के होता है और मैं तुझ को चोदना चाहती हू जैसे तेरे अंकल को चोदती हूं" 

" सब के इतना बड़ा कहा होता हैं, आंटी ये तो बहुत विशाल है  ! " 



 आंटी बोली " हां बड़ा तो है पर तुझे बहुत मजा आएगा, तेरे अंकल को भी मजा आता है । हम पठान है , पठानी औरतों के ही होता है इतना बड़ा और सब औरतों की नहीं होता , मेरे है,  इसलिए मेरे शरीर पर इतने बाल है,  और मैं मर्दाना दिखती हूं , क्योंकि तूने मुझे पसंद किया है इसका मतलब तू लड़कियों टाइप का लड़का है , और तेरे लिए मर्दाना औरत ही सही है चल आजा तुझे कमरे में लेकर चलती हूं।

 मैंने कहा " आंटी सच कहूं तो मुझे शक तो हो गया था जब आप मुझे बार बार गोद में बिठाती थी और मेरा मन भी होने लगा था  लेकिन यह बहुत मोटा है यह मेरी गांड में कैसे जाएगा "?

आंटी बोली "  चिंता मत कर तेल लगा कर चोदूगी,  तुझे बहुत मजा आएगा"

 मैंने कहा "  ठीक है आंटी फिर तो आप चेहरे से साबुन हटा कर लीजिए क्योंकि फिर साबुन हर जगह लगेगा और किस करने में मजा नहीं आएगा" 

 फिर आंटी ने मेरे को गोद से निकाला और अपना चेहरा धोया मैंने देखा आंटी की चेहरे की ओरिजनल छोटी-छोटी दाढ़ी वापिस दिखने लगीं थी और मूछों वाली जगह के बड़े-बड़े बाल ।

 मैंने अपनी पेंट खोल ली और मुठ मारने लगा ।

आंटी बोली "नालायक !  यह क्या कर रहा है अभी रुक जा कमरे में चलते हैं "

 मैंने कहा " ठीक है, गोदी उठाओ "  उसके बाद में आंटी ने मुझे वापस से उठाया और मैं आंटी के लंड के ऊपर बैठ गया आंटी मुझे ले गई और सीधा बिस्तर पर चित्त करके लिटा दिया 

फिर आंटी ने बोला " बोल तुझे कैसे चोदू , पहली बार है ना मेरी गुड़िया" 

मैंने कहा " आंटी आप मुझे एक मर्द की तरह चोदे  और मुझ पर रहम ना करें " 

आंटी बोली " ठीक है " उसके बाद में आंटी ने अपना अंडरवियर उतारा और उनके बडे़ बड़े अंडकोष और लंड पूरा झांटों से भरा हुआ था 

उसके बाद में आंटी अपने लंड को लेकर के मेरे नन्नू पर मारने लगी और बोली " मजा आ रहा है? "

 मैंने बोला "  आंटी  जल्दी करो ना प्लीज " 

उसके बाद में आंटी मेरे ऊपर छा गई और आंटी ने अपनी ब्रा भी उतार दी मैंने आंटी की बालभरी निप्पल अपने मुंह में ले ली और चूसने लगा बालों के साथ में निप्पल बड़ी प्यारी लग रही थी उसके बाद में थोड़ी देर आंटी ने मुझे निप्पल छुड़वाई और अपनी कांख आगे कर दी,  मैं आंटी की कांख में भरें बालों को चूसने लगा 

उसके बाद में आंटी ने दूसरी कांख आगे कर दी मैं उसको भी चूसने लगा

 उसके बाद में जब आंटी ने मेरी पैरों को चौड़ा किया और अपने लंड को मेरी गांड पर लगा दिया मैंने बोला "आंटी , नहीं , रुको,  तेल तो लगाओ, "

 आंटी ने टेढ़ा हो करके दराज में से तेल की शीशी निकाली और भर के अपने लैंड पर लगे और थोड़ी सी मेरी गांड की खेत में डाली उसके बाद में आंटी ने अपना सुपाड़ा मेरी गांड पर लगाया।  आंटी का सुपाड़ा बहुत मोटा था और बिल्कुल लाल-लाल था । आंटी ने सुपाड़ा आगे किया फिर पीछे किया और फिर 2 3 बार करके फिर मेरे छेद पे लगाया और जोर से धक्का दिया ।

मेरी तो जान ही निकल गई फिर आंटी ने बस सुपाड़ा घुसा के रोक दिया और मेरे होठों को चूसने लगी , मेरा ध्यान आंटी की पप्पी पे चला गया क्योंकि आंटी कि जब मेरे होठों पर चूसने रही तो उनकी मूछें मुझे छुने लगीं , ऐसा लग रहा था की आंटी मर्द हैं।  

फिर आंटी ने अपने दोनों हाथों से मेरी छाती पर दबाना शुरू किया जैसे कोई मर्द अपनी औरत को दबाता है , इन दोनों बातों से यह फर्क हुआ कि मेरा ध्यान गांड की दर्द से हट गया और मैं आंटी के हरकत के ऊपर ध्यान देने लगा इस बात का फायदा उठाकर आंटी ने एक बार फिर जोर से धक्का लगाया और लंड आगे डालना शुरू कर दिया और मेरे इस बलात्कार में मुझे पता ही नहीं चला कब आंटी का 14 इंच का लैंड मेरी गांड में घुस चुका था 

फिर आंटी ने देखा कि मैं बहुत मस्त हो गया हूं तो उन्होंने सीधे होकर हल्की-हल्के धक्के लगाने शुरू किया मैं भी देखा की आंटी अब पूरे मूड में आ गई है बस उन्होंने हाथ से मेरी छाती को पकड़े रखा और धीरे-धीरे अपने भारी नितंबों से मुझे चोदने लगी 

मैंने देखा आंटी के बाल उनकी बाहों पर भी थे और बिल्कुल मर्दों की तरह थे ऐसे लग रहा था और उनकी छाती पूरी तरह से लहरा रही थी और बीच में जहां पर क्लीवेज होता है वहां पर भी बाल थे जैसे किसी मर्द की छाती हो पर दो मोटे-मोटे बोबे भी लगे हो

 उसके बाद में मैंने आदमी का आंटी का चेहरा दिखा तो आंटी के चेहरे पर पहले बाल थे और उससे ज्यादा दिख रही थी मूंछों जिस पर पसीना आ गया था पर आंटी बहुत सुंदर लग रही थी ।


चोदते चोदते आंटी ने फिर धीरे धीरे से मेरी टांगों को पकड़ कर मेरी छाती पर लगा दिया और कहा कि "अपनी टांगे में पकड़ो " 

मैंने अपनी जांघो को अपने हाथों से पकड़ के अपनी छाती पर खींच लिया । आंटी के हाथ फ्री हो गए और उन्होंने मेरी छाती को जोर-जोर से मसलना शुरू कर दिया और गधे जितना बड़ा लंड उनका मेरी गांड में लपालप जाने लगा।

फिर आंटी आगे झुक करके मेरे होठों को अपने होठों के बीच में लेकर चूसने लगी और बिल्कुल दंड लगाने वाली पोजीशन पर होकर अपने लंड से फकाफक फकाफक मुझे छोड़ने लगी , 

मैने आंटी की बाइसेप्स पकड़ ली और मेरी सिसकियां निकलने लगी।

 आंटी की भी सांस से तेज होने लगी , आंटी धीरे-धीरे आक्रमक होती जा रही थी फिर आंटी ने मेरी छाती छोड़ के एक हाथ से मेरी गर्दन दबा ली और दूसरे हाथ से मुझे थप्पड़ मारा और बोली " मेरी कुत्तिया बनेगा तू? या तेरा गला दबा दी? बोल जल्दी बोल, तुझे लड़कियों के कपड़े पहना के प्यार करूंगी । मंजूर है की नही ? " 

मैं तो हैरान रह गया आंटी की लैंग्वेज सुनके। आंटी शुरू शुरू में मुझसे प्यार से बात कर रही थी और जब उनको लगा किया मैं पूरी तरह से उनकी गिरफ्त में हूं तो उनके ऊपर वशीपन छा गया था और वह पूरी तरह से पागल हो गई थी और वह मुझे फकाफक फकाफक चोद रही थी ऐसे लग रहा था मेरी गांड फाड़ डालेगी

 ऐसे लग रहा था की आंटी में किसी देवी की तरह आत्मा आ गई है और आंटी बहुत गुस्से में भी लग रही थी आंटी ने मेरे गले में हाथ काश कितना दबाया की सिर्फ सांस आने की जगह छोड़ी और थप्पड़ पर थप्पड़ मार रही थी बीच-बीच में आगे भड़ के मेरे होठों को लेकर के चुस्ती करती और कभी मेरी छाती मसोडती ।

कभी एकदम से धीरे-धीरे मुझे चोदती,  कभी तेज चोदती , फिर लगातार 5 मिनट तक जोर जोर से चोदने से में मैं झड़ गया उसके बाद में आंटी भी झड़ गई पर ऐसे लगा जैसे मेरी गांड में किसी ने फवारा छोड़ दिया हो इतना वीर्य डाला आंटी ने की मैं दोबारा झड़ गया ।

आंटी मेरे ऊपर ही पड़ी रही आंटी की वजन से मैं दबने लगा फिर थोड़ी देर में आंटी उठी फिर उन्होंने मेंढक की तरह पोज बनाया और धीरे-धीरे फिर मुझे चोदने लगी और चोदती रही और 2 घंटे हो गए।

अंकल आ गए अंकल आंटी को बोला छोड़ इस बच्चे को पर आंटी ने अंकल को भी झटक दिया और फिर चोदने लगी

फिर अंकल ने मुझे बचाने के लिए बहुत कुछ कोशिश की , आंटी की मोती गांड पकड़ के पीछे आगे धक्के लगाए  

आंटी को गुस्सा आ गया वह उठी और अंकल को उल्टा करके उनकी गांड में लंड घुसा दिया अंकल बोल बेटा तू भाग यह तो मुझे चोदती रहेगी 

इस तरीके से मैं जान बचाकर भागा तो मुझे ख्याल आया "आंटी दोबारा मुझे कब चोदेगी ?


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